पर वह तो कभी-कभी अपनी पीत आभा लेकर दिख जाता था, अन्यथा आंशिक अंधकार सदैव छाया हुआ था।
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पर वह तो कभी-कभी अपनी पीत आभा लेकर दिख जाता था, अन्यथा आंशिक अंधकार सदैव छाया हुआ था। “पानी....पानी...नई नदी...उसका साफ स्वच्छ जल...” कहते हुए ग्रामीण उस नदी के तट पर पहुंच रहे थे।